सब्जी वाला-2
प्रेषिका : परवीना जान
मैं बोली- बहुत अच्छी ! और चोदो चाचा ! इतना बड़ा लण्ड पहली बार मिल रहा है, और चोदो अहह !
वो बोला- साहब नही चोदते क्या?
मैं बोली- साहब को गोली मारो, रहता ही नहीं तो क्या चोदेगा? तू चोद, रोज आ के चोद जाया कर मेरी चूत !
वो बोला- हाँ, क्यों नहीं बेटी, ज़रूर, मैं तेरा पूरा ख्याल रखूँगा। आखिर बड़े होते ही छोटों का ख्याल रखने के लिए हैं। ले पूरा ले और ज़ोर से इस्स्स आः हहह।
और इस तरह चुदाते हुए मैं झड़ने लग़ी- अहह चाचा ! लो मेरी झड़ गई, यह आज तक इतनी गीली कभी नहीं हुई चाचा ! लो लो !"
और अब वो अपनी स्पीड बढ़ा कर बोला- शाबाश बेटी झड़ ! खूब जम के झड़ ! मेरा भी अब झड़ने वाला है, कई दिनों का जमा है ले ले पूरा अंदर ! अहह हाहोह !
और उसका ढेर सारा माल मेरी चूत में झड़ गया और ऐसा लगा जैसे प्यासे को पानी मिल गया और माल मेरी चूत के अंदर जाते ही मैं बोली- उफ्फ़ ओउउ ऊऊओह !
और इस तरह सब्जी वाले चाचा ने मेरी प्यास बुझा दी।
पर उसका मन भरा नहीं था, मैं तो उठ गई पर वो लेटा रहा।
मैं बाथरूम में जाकर अपनी चूत धो रही थी, तभी पीछे से आकर उसने अपना विशाल लण्ड मेरे बड़े बड़े भारी संगमरमरी चूतड़ों की नाली के बीच लगा दिया। उसने अपने दाहिने हाथ से फ़व्वारा मेरे हाथ से ले लिया और मेरे चूतड़ों की नाली में अपना लण्ड रगड़ते हुए, अपने बायें हाथ से मेरी चूत रगड़ रगड़ कर धोने लगा। मैंने भी पीछे हाथ ले जाकर उसका लण्ड थाम लिया और अपने दूसरे हाथ से उसके लण्ड पर साबुन लगा कर रगड़ने लगी।
उसने शावर ऊपर स्टैन्ड पर लगा दिया शावर का पानी मेरे गुलाबी गुदाज बदन को और भी नशीला बना रहा था। फ़िर वो घूम कर सामने आया और शावर रोक कर जीभ से मेरी भीगी चूत चाटने लगा, फ़िर मेरी चूत की खड़ी पुत्तियों को चाटने लगा। वो अपनी जीभ चूत में डालकर हिला हिला कर चूत को गीला कर रहा था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरे मुँह से तरह तरह आवाजें निकल रही थी- उम्म उउ उफ ऊऊहह !
और वो पूछ रहा था- बेटी, कैसा लग रहा है अच्छा लग रहा है ना? मैं पहले तुझे नहलाऊँगा, फिर नहाते हुए अपना लण्ड डालूँगा मुझे नहाते हुए चोदने का अच्छा तजुरबा है।
कह कर वो फिर चाटने लगा और मैं ऊपर लगा शावर चला कर बोली- बहुत अच्छा लग रहा है चाचा ! उफ उफ ! मैं तो मजे से पागल हो रही हूँ, अब चोदो ना मुझे नहाते हुए ! ऊह !
वो बोला- जरूर चोदूँगा बेटी ! पहले तेरी चूत को और तुझे नहला तो लूँ ! आज तो तुझे 6 बार चोदूँगा।
"अच्छा !"
कहकर मैं टब में खड़ी हो गई, वो मुझे अपने हाथों से मेरे बदन पर और मेरी चूचियों चूत पर साबुन लगा रगड़ रगड़ कर नहलाने लगा।
बाथरूम तरह तरह की आवाजों से गूँज रहा था- उ उउफ फफ्फ अहा आअ ओह
मैंने भी बायें हाथ से उसका लण्ड थामा और दाहिने हाथ से साबुन लगाकर उसका लण्ड अपनी चूत पर रगड़ने लगी। शावर का पानी मेरे गुलाबी गुदाज बदन से साबुन धोकर उसे और भी नशीला बना रहा था।
मेरे सामने खड़े हो उसने मेरी शावर के पानी से भीगी चूचियाँ थाम लीं और नीचे झुककर बारी बारी से पानी टपकाते निप्पल चूसने लगा। फ़िर अपना कड़क काला लण्ड मेरी पावरोटी सी चूत के मुहाने पर लगा कर उचकाया।
"अह होओ हअ हूऊऊ ओह !"
जैसे ही पूरा लण्ड अन्दर गया मैं बोली– रुकना मत चाचा ! अब बस चोदे जाओ।
उसने उचक उचक कर चोदना शुरू कर दिया। मारे मजे के मैं तरह तरह की आवाजें निकालते हुए किलकारियाँ भर रही थी- उफ्फ़ उफ फ्फ़ ओह नहिईई अहहोह उउ गाययईई !
मेरी किलकारियाँ सुनकर सब्जी चाचा बहुत गर्म हो गया वो और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ दबा दबाकर निप्पल चूसते हुए चूत में लण्ड ठोक रहा था और कह रहा था– उम्म्म चुम्म अहह ! क्या चूचियाँ हैं, क्या चूत है तेरी ! परवीना बेटी ले अंदर तक ! लो अह हहो हूऊओ लो अहहः हुम्म हहूह हुउ म्महहह अह अहो अहह ओह म्मऊु उउम्ययई !
मैं भी अब बोल रही थी- ठूँस दो अंदर तक चाचा ! मारो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत ! मज़ा आ रहा है, पूरा डालो और ज़ोर ज़ोर से अह हाआ आआ ओह ज़ोर से और अहहोह !
यह सुनकर सब्जी वाला और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा, अब उसकी स्पीड बढ़ गई क्योंकि झड़ने के करीब था, वो बोल रहा था- अह ह हह हहाआओह मैं झड़ रहा हूँ तेरी चूत में ल्ल्लूऊ अहा आआहूऊ।
"बस चाचा दो तीन धक्के और मार दो मैं भी झड़ने वाली हूँ ! झाड़ दो चाचा अहहहाः उफ़्फूफ अहहोड़ूऊओ !"
सब्जी वाले ने कस कस के दो तीन धक्के ही मारे होंगे कि उसके मुँह से निकला- उ उउफ फह झअअड़ गया।
वो हाँफ़ते हुए टब की किनार पर बैठ गया और उसकी गोद में ढेर हो गई।
सब्जी वाले ने मेरी पीठ पर हाथ फ़ेरा और बोला- बेटी, तू तो बड़ी जबर्दस्त चुदक्कड़ है ! मेरा आशीर्वाद है कि तेरी चूत और फ़ूले-फ़ले, इसकी चुदास बढ़े ! इसे लण्डों की कभी कमी न हो। सदा चुदागन रहो।
आशीर्वाद देकर सब्जीवाले चाचा ने अपने कपड़े पहने और चला गया और मैं उसके आशीर्वाद से आज तक मजे कर रही हूँ।
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